Re Kabira 0022 - शिकायत थी मुझको

--o Re Kabira 0022 o--



शिकायत थी मुझको !!!

शिकायत थी मुझे खुदसे, तुमसे और थी यारों से, 
शिकायत थी मुझे माता-पिता से, भाई-बहन और थी रिश्तेदारों से,
शिकयात थी मुझे साथी से, बच्चों और थी अपनों से,
शिकयत थी मुझे वर्त्तमान से, भूत-भविष्य और थी समय से,
शिकायत थी मुझे सभी से, आप से और थी भगवान से | 

शिकायत पर हँस पड़ा रे कबीरा, मुस्कुराया और बोला, मूरख !
शिकायत करते हैं वो, पास है जिनके सब कुछ और सभी,
शिकायत का मौका मिलता है उनको, जिनको पता नहीं कीमत शिकायत की | | 

आशुतोष झुड़ेले
Ashutosh Jhureley

It's a privilege to be able to complain...

--o Re Kabira 0022 o--

Most Loved >>>

क्यों न? - Why Not? - Re Kabira 102

Re Kabira - सर्वे भवन्तु सुखिनः (Sarve Bhavantu Sukhinah)

लिखते रहो Keep Writing - Re Kabira 101

Re Kabira 050 - मैंने बहुत से दोस्त इकट्ठे किए हैं

Re kabira 085 - चुरा ले गए

कहाँ है पवन? - Re Kabira 099

बुलन्द दरवाज़ा - Re Kabira 100

पल - Moment - Re Kabira 098

तमाशा बन गया - Re Kabira 089

एक बूँद की औकात - Re Kabira 094