Re Kabira 050 - मैंने बहुत से दोस्त इकट्ठे किए हैं


-o Re Kabira 050 o--




मैंने बहुत से दोस्त इकट्ठे किए हैं,

कुछ सुनने के लिए कुछ सुनाने लिए,
कुछ समझने के लिए कुछ समझाने के लिए
कुछ बार-बार रूठने के लिए कुछ बार-बार मनाने के लिए
कुछ बार-बार मिलने के लिए कुछ बार-बार बिछड़ जाने के लिए

मैंने बहुत से दोस्त इकट्ठे किए हैं,
कुछ पीठ दिखाने के लिए कुछ पीठ पर आघात से बचाने के लिए
कुछ झूठ बोलने के लिए कुछ सच छुपाने के लिए
कुछ दूर खड़े रहने के लिए कुछ दूर खड़े रहने का यक़ीन दिलाने के लिए
कुछ भरोसा करने के लिए कुछ का विस्वास बन जाने के लिए

मैंने बहुत से दोस्त इकट्ठे किए हैं,
कुछ चापलूसी करने के लिए कुछ हौसला बढ़ाने के लिए
कुछ तालियाँ बजाने के लिए कुछ सच्चाई बताने के लिए
कुछ गलितयाँ करवाने के लिए कुछ गलितयों में साथ निभाने के लिए
कुछ गलतियों को कारनामा बताने के लिए कुछ गलितयों का अहसास दिलाने के लिए

मैंने बहुत से दोस्त इकट्ठे किए हैं,
कुछ राह दिखाने के लिए कुछ को रास्ता दिखाने के लिए 
कुछ धकेलने के लिए कुछ खींच ले जाने के लिए
कुछ साथ हँसने के लिए कुछ साथ आँसू बहाने के लिए
कुछ साथ चलने के लिए कुछ पास में बैठ जाने के लिए

मैंने बहुत से दोस्त इकट्ठे किए हैं,
कुछ साथ पीने के लिए कुछ साथ पिलाने के लिए
कुछ बस सूँघने के लिए कुछ चकना खा जाने के लिए
कुछ साथ पीटने के लिए कुछ हमेशा पिटवाने के लिए
कुछ छोड़ भाग जाने के लिए कुछ साथ डट जाने के लिए

मैंने बहुत से दोस्त इकट्ठे किए हैं,
कुछ याद करने के लिए कुछ रह रह कर याद आने के लिए
कुछ यादों में बस जाने के लिए कुछ चाह कर भी न भूल पाने के लिए
कुछ हाथ पकड़ने के लिए कुछ गले लग जाने के लिए
कुछ को कंधा देने के लिए कुछ मिट्टी ले जाने के लिए

मैंने बहुत से दोस्त इकट्ठे किए हैं,
कुछ के साथ बीते अच्छे पल कुछ के साथ निकल गए बुरे पल
कुछ के साथ बीता मेरा कल कुछ के साथ निकल जायेगा आने वाल कल
कुछ दोस्ती जताने के लिए कुछ दोस्ती मनाने के लिए
कुछ दोस्ती निभाने के लिए कुछ दोस्ती आज़माने के लिए

मैंने बहुत से दोस्त इकट्ठे किए हैं,
कुछ अकेले आगे बढ जाने के लिए कुछ साथ रहने पीछे आने के लिए
कुछ बढकर रुक जाने के लिए कुछ रुक कर साथ ले जाने के लिए
कुछ मिल जाते हैं इधर कुछ मिले जाते हैं उधर
कुछ जुड़े हुए हैं कुछ बिखर गए हैं जाने किधर





*** आशुतोष झुड़ेले  ***

-o Re Kabira 050 o--


Most Loved >>>

क्यों न? - Why Not? - Re Kabira 102

Re Kabira - सर्वे भवन्तु सुखिनः (Sarve Bhavantu Sukhinah)

लिखते रहो Keep Writing - Re Kabira 101

Re kabira 085 - चुरा ले गए

कहाँ है पवन? - Re Kabira 099

बुलन्द दरवाज़ा - Re Kabira 100

पल - Moment - Re Kabira 098

तमाशा बन गया - Re Kabira 089

एक बूँद की औकात - Re Kabira 094