Re Kabira 071 - कीमती बहुत हैं आँसू
--o Re Kabira 071 o--
कीमती बहुत हैं आँसू
छलके तो ख़ुशी के, जो बहें तो दुःख के आँसू
कभी मिलन के, तो कभी बिछड़ने के आँसू
कभी मिलन के, तो कभी बिछड़ने के आँसू
कभी सच बताने पर, कभी झूठ पकड़े जाने पर निकल आते आँसू
कभी कमज़ोरी बन जाते, तो कभी ताक़त बनते आँसू
कभी पीकर, तो कभी पोंछकर चलती ज़िन्दगी संग आँसू
कभी लगते मोतियों जैसे, तो कभी दिखते ख़ून के आँसू
कभी खुद को खाली कर देते, तो कभी सहारा बन जाते आँसू
कभी दरिया बन जाते, तो कभी सैलाब बन जाते ऑंसू
दिल झुमे तो, रब चूमे तो पिघलते भी आँसू
कभी डर के मारे, कभी घबड़ाहट से आ जाते हैं आँसू
कभी डर के मारे, कभी घबड़ाहट से आ जाते हैं आँसू
गुस्से में राहत देते, धोखे में आहात देते ऑंसू
कहते हैं बह जाने दो, दिल हल्का कर देंगे ये आँसू
दर्द का , चोटों का , तकलीफों का आइना आँसू
नफरत की ज़िद में, इश्क़ की लत जमते आँसू
नफरत की ज़िद में, इश्क़ की लत जमते आँसू
मजबूरी के, लाचारी के, जीत के, हार के होते आँसू
सीरत तो नम होती इनकी, सूख भी जाते हैं आँसू
सीरत तो नम होती इनकी, सूख भी जाते हैं आँसू
कवितओं में, कहानियों में, शेऱ-शायरियों में बस्ते ऑंसू
प्रेम के, भक्ति के, समर्पण के गवाह आँसू
कभी छोटे, कभी बड़े, बहुत काम के हैं ऑंसू
ओ रे कबीरा संजो के रखो, कीमती बहुत हैं आँसू
ओ रे कबीरा संजो के रखो, कीमती बहुत हैं आँसू
आशुतोष झुड़ेले
Ashutosh Jhureley
@OReKabira
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