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चलो नर्मदा नहा आओ - Re Kabira 088

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--o Re Kabira 88 o--   चलो नर्मदा नहा आओ  हमने विचित्र ये व्यवस्था बनाई है बड़ी अनूठी नर्मदा में आस्था बनाई है चोरी-ठगी-लूट करते जाओ, हर एकादशी नर्मदा नहा आओ दिन भर कुकर्म करो और शाम नर्मदा में डुपकी लगा आओ अन्याय अत्याचार करते जाओ, भोर होते नर्मदा नहा आओ षड्यंत रचो धोखाधड़ी करो और नर्मदा में स्नान कर आओ हमने विचित्र ये व्यवस्था बनाई है बड़ी अनोखी नर्मदा परिक्रमा बनाई है पाप तुम कर, अपराध तुम कर, नर्मदा में हाथ धो आओ कर्मों का हिसाब और मन का मैल नर्मदा में घोल आओ जितने बड़े पाप उतने बड़ा पूजन नर्मदा घाट कर आओ समस्त दुष्टता के दीप बना दान नर्मदा पाट कर आओ हमने विचित्र ये व्यवस्था बनाई है बड़ी अजीब नर्मदा की दशा बनाई है दीनो से लाखों छलाओ सौ दान नर्मदा किनारे कर आओ दरिद्रों का अन्न चुराओ और भंडारा नर्मदा तट कर आओ मैया मैया कहते अपराधों का बोझ नर्मदा को दे आओ बोल हर हर अपने दोषों से दूषित नर्मदा को कर आओ हमने विचित्र ये व्यवस्था बनाई है बड़ी गजब नर्मदा की महिमा बनाई है इतने पाप इकट्ठे कर कहाँ नर्मदा जायेगी, पर तुम नर्मदा नहा आओ हमारे पाप डोकर कैसे नर्मदा स्वर्ग जायेगी, ...