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Re Kabira 0023 - शुभ दीपावली (2017)

--o Re Kabira 0023 o-- जय हो विजय हो, सुख हो समृद्धि हो |  उन्नत्ति हो लाभ हो, शांति हो मंगल हो | |  नव वर्ष हर्षित हो, दीपावली अतिशुभ हो |  मंगल ही मंगल हो, सब मंगलमय हो ||  Ashutosh Jhureley || शुभ दीपावली ||  || Wishing you a Happy Deepawali & New Year || --o Re Kabira 0023 o--

Re Kabira 0022 - शिकायत थी मुझको

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--o Re Kabira 0022 o-- शिकायत थी मुझको !!! शिकायत थी मुझे खुदसे, तुमसे और थी यारों से,  शिकायत थी मुझे माता-पिता से, भाई-बहन और थी रिश्तेदारों से, शिकयात थी मुझे साथी से, बच्चों और थी अपनों से, शिकयत थी मुझे वर्त्तमान से, भूत-भविष्य और थी समय से, शिकायत थी मुझे सभी से, आप से और थी भगवान से |  शिकायत पर हँस पड़ा रे कबीरा, मुस्कुराया और बोला, मूरख ! शिकायत करते हैं वो, पास है जिनके सब कुछ और सभी, शिकायत का मौका मिलता है उनको, जिनको पता नहीं कीमत शिकायत की | |  आशुतोष झुड़ेले Ashutosh Jhureley It's a privilege to be able to complain... --o Re Kabira 0022 o--

Re Kabira 0021 - हरी हरे मेरे दशहरा

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--o Re Kabira 021 o-- हरी हरे मेरे दशहरा भजूं मैं हरी नाम सदा, हरी हरे मेरे  दुश  इस " दशहरा " |  विरोध करुँ मैं अमानवता का, हो कर्म मेरे स्वार्थ बिना | क्रोध न भारी पड़े मस्तक पर, मत्सर न आये कभी विचारों में |  काम-वासना से मुक्त हो जीवन, न दिखे लोभ जब में देखूं दर्पण | न सहूँ न होने दूँ  अन्याय , न ही झूमूँ डूब  अहंकार में  | मद न आये मेरे आचार में , मोह न डाले अड़चन मेरे व्यव्हार में  |    भजूं मैं हरी नाम सदा, हरी हरे मेरे  दुश  इस " दशहरा " ||  "Happy Vijayadashami" आशुतोष झुड़ेले Ashutosh Jhureley --o Re Kabira 021 o-- #अमानवता #Cruelty # अहंकार  #Ego # अन्याय  #Injustice # काम-वासना #Lust # क्रोध #Anger #लोभ #Greed # मद #Pride # मोह #Attachment # स्वार्थ #Selfishness #मत्सर #Jealousy Dussehra Dus (दुश) meaning "bad, evil, sinful" and Hara (हर) means "removing, destroying", connoting "removing the bad, destroying the evil, sinful".

Re Kabira 0020 - Live and let live....

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--o Re Kabira 020 o-- मुल्ला दे पांचो बांग, पंडा जापे पोथी पोथा | कबीरा देख नयना खोल, सताये मानुष की दशा ।।  Translation: Some pray 5 times a day, others read & repeat holy scripts all day long... what is the point of doing so, just open your eyes & see the state of humanity.  -- Ashutosh Jhureley #IAmKabira live and let live...... #StopTheKillings #LiveAndLetLive --o Re Kabira 020 o--

Re Kabira 019 - सोचता हूँ की बस सोचता ही न रह जाऊ? (Just Do It)

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--o Re Kabira 019 o-- सोचता हूँ की बस सोचता ही न रह जाऊ? सोचता हूँ क्या क्या करना हैं मुझको, सोचता हूँ क्या करूँ सबसे पहले, सोचता हूँ कब शुरुआत करूँ ? सोचता हूँ कब कर पाऊँगा सब कुछ , सोचता हूँ क्या होगा न कर पाया ये सब, सोचता हूँ क्या समय नहीं है मेरे साथ ? सोचता हूँ कितने पैसे हैं मेरे पास, सोचता हूँ इतने पैसे काफी होंगे या नहीं, सोचता हूँ उतने पैसे कहाँ से लाऊंगा ? सोचता हूँ क्या कहेंगे दोस्त अगर चल पड़ा, सोचता हूँ क्या सोचेंगे घर पर यदि न कर सका, सोचता हूँ बच्चे क्या बोलेंगे कुछ सालों के बाद? सोचता हूँ क्या होगा घर-बार का, सोचता हूँ क्या होगा धर-परिवार का, सोचता हूँ क्या होंगे मेरा इन सब के बाद? सोचता हूँ क्या करूँ क्या नहीं, सोचता हूँ सोचा करूँ या नहीं, सोचता हूँ की बस सोचता ही न रह जाऊ? बस कर सोचना और सपने देखना, बस उठा कदम और निकल जा, बस रुकना मत चलते ही जा || आशुतोष झुड़ेले    #DontThink #JustDoIt #ItsYourTime #DoIt #GoOn #HereYouGo --o Re Kabira 019 o--

Re Kabira 018 - ROYAL BEASTS 15th Anniverssary Ride: BEASTERS Ride On !!!

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--o Re Kabira 018 o-- Royal BEASTS 15 th Anniversary Ride Delhi – Binsar – Delhi 07-08-09/April/2017 BEASTERS Ride On !!! with the thud and roar, BEASTERS Ride On ... to the endless roads where sun seems to meet earth ... to the invincible mountains where clouds are yours forever ... to the serene blue water where ocean & seas come together ... with the glitches and ditches, BEASTERS Ride On ... to the location where some find their heart & soul ... to the destination where they feel always belonged ... to the gather where journey & celebrations never ends ... with the blood and sand, BEASTERS Ride On ... to the roads where others have travelled none honed ... to the place where others have gone but not yet known ... to the neighbourhood where only we created brotherhoods ... with the storms and rain, BEASTERS Ride On ... to create memories to be visited down the lane ... to share storie...

Re Kabira 017 - Sachin: Father's poetic tirbute to the greatest player...Sachin Tendulkar

--o Re Kabira 017 o-- Sachin Father's poetic tirbute to the greatest player...Sachin Tendulkar Intensity, concentration, spontaneity Moods and tensions and form ... Rhythm and movement and composition And flashes of imagination and talent ... When the strokes go across To the boundary Of all the things, that string of Uncertainty hanging all the time Making moment of every movement - A creative moment And a challenge What else can all this be If not a lyric on the playground? Hence this vocabulary Rushing up to me As I sit down, Dear Sachin, To describe your game. Shri Ramesh Tendulkar --o Re Kabira 017 o-- #Sachin #Tendulkar #SachinTendulkar #RameshTendulkar #Cricket #SachinPoem Sachin Tendulkar  on wikipedia Sachin Tendulkar on ESPN Cricinfo Sachin Tendulkar on Wisden