Re Kabira 011 - हम सोचते हैं
--o Re Kabira 011 o--
हम सोचते हैं
हम सोचते हैं, महात्मा पंडित क़ादरी दे गया और बाबा ठाकुर दलित ।
पर देख नहीं सकते ,चाचा के तब मजे थे और अब ताऊ-नेता-बहन-बहु के ।।
हम लोग कल भी अकड़े थे और आज भी चौड़े हैं ।
हम पहले भी मंद थे और अब भी मूरख हैं ।।
पर देख नहीं सकते ,चाचा के तब मजे थे और अब ताऊ-नेता-बहन-बहु के ।।
हम लोग कल भी अकड़े थे और आज भी चौड़े हैं ।
हम पहले भी मंद थे और अब भी मूरख हैं ।।
Translation: We are made to believe that Mahatma supported the nation being divided based on religion, and Ambedkar divided based on reservation. But we can't see that politicians took advantage at all times using the policy of divide & rule. And supporters followed them stubbornly without using any common sense at all.
Ashutosh Jhureley
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