Re Kabira 0022 - शिकायत थी मुझको
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शिकायत थी मुझको !!!
शिकायत थी मुझे खुदसे, तुमसे और थी यारों से,
शिकायत थी मुझे माता-पिता से, भाई-बहन और थी रिश्तेदारों से,
शिकयात थी मुझे साथी से, बच्चों और थी अपनों से,
शिकयत थी मुझे वर्त्तमान से, भूत-भविष्य और थी समय से,
शिकायत थी मुझे सभी से, आप से और थी भगवान से |
शिकायत पर हँस पड़ा रे कबीरा, मुस्कुराया और बोला, मूरख !
शिकायत करते हैं वो, पास है जिनके सब कुछ और सभी,
शिकायत का मौका मिलता है उनको, जिनको पता नहीं कीमत शिकायत की | |
It's a privilege to be able to complain...
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