Re Kabira 0042 - Lets Spread Colours.. of Love
--o Re Kabira 0042 o--
होली है
सब बोलें न चढ़े कोई रंग, जब हो हर तरफ लाल रंग।
छुप गया नीला आकाश, खो गया सतरंगी गगन।।
बट गए नारंगी-हरे रंग, थक गये हम देख काले-सफ़ेद रंग।
दिखती नहीं रंगीन वादियां, तितलियों ने खोया रसिक ढंग।।
गर्म हो गया पवन का मन, लहरें भूल गयीं खनक छन-छन।
वापस आने दो लकड़पन, हस लो सोच के चंचल बचपन।।
लो जे आ गयी होली ले के बसंत, हर तरफ होगा बस रंग ही रंग।
जो बोले न चढ़े कोई रंग, चपेड़ दो उनको नीला-पीला संग प्रेम रंग।।