Re Kabira 0069 - रंगों में घोली होली है
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रंगों में घोली होली है
देखो कैसी ये होली है,
हमने रंगों में घोली होली है
छिड़क तनिक गुलाल,
प्यार जताने की होली है
मार पिचकारी लाल रंग की,
शिक़वे मिटाने की होली है
सन दो कौसुम्भ की सुगंध में,
ये मानो भक्तों की होली है
गोबर की जो महक आये,
तो भैया भागो अंध-भक्तों की होली है
जहाँ नील ही नील दिखे,
समझो आज खूब खेली होली है
जरा सिन्दूर चढ़ा कर,
पुजारी ने भी खेली होली है
पीलक ने भी खेली,
मौसम बदलने के होली है
नारंगी-हरे रंग में फ़रक न दिखे,
तो ये असली होली है
राख में ढ़के हुए,
साधु-सन्यासियों ने खेली होली है
श्वेत टिका लगाए,
वृन्दावन के आश्रम में खिली होली है
माटी-कीचड़ में सने,
श्रमिक-किसानों की भी ये होली है
मिट्टी में लिपटे हुए,
माली के बच्चों ने खेली होली है
श्याम रंग में छुपे,
कुछ अतरंगों की होली है
रंगों की होदी में धकेल,
दोस्तों ने भी खेली होली है
चार लकीरें रंगो में लगाकर ही सही,
हिचकिचाहट से कुछ लोगों ने खेली होली है
कुछ गीली कुछ सूखी,
नीली-पीली, लाल-गुलाबी
सतरंगों में डूबी हुई,
आज खुशियों की होली है
रंगों में घोली होली है,
होली है भाई होली है..
आशुतोष झुड़ेले
Ashutosh Jhureley
@OReKabira
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