पल - Moment - Hindi Poetry - Re Kabira 098
-- o Re Kabira 098 o--
पल
Moment
पल पल पल पल
पल कल पल अगल
पल पल कल कल
पल कल पल पिछल
पल कल पल अगल
पल पल कल कल
पल कल पल पिछल
पल पल पल पल
पल चल पल अचल
पल पल चल चल
पल चल पल अटल
पल चल पल अचल
पल पल चल चल
पल चल पल अटल
पल पल पल पल
पल तल पल जबल
पल पल तल तल
पल तल पल सुतल
पल पल तल तल
पल तल पल सुतल
पल पल पल पल
पल भल पल जटल
पल पल बल बल
पल बल पल प्रबल
पल पल बल बल
पल बल पल प्रबल
पल पल पल पल
पल छल पल उटल
पल पल फल फल
पल फल पल सफल
पल पल फल फल
पल फल पल सफल
पल पल पल पल
पल कल कल पल
पल पल पल पल
पल चल चल पल
पल कल कल पल
पल पल पल पल
पल चल चल पल
—०—
भूत और भविष्य की चिंता व्यर्थ है, जो है, आज और अब है
समय चलता रहेगा, समय बढ़ता रहेगा
कभी अटल, कभी कठोर, कभी अचल, कभी स्थिर प्रतीत होगा
कभी हिमालय से ऊँचा, कभी सागर से भी गहरा महसूस होगा
कभी बहुत ही कठिन, कभी बहुत बलवान, कभी कुचलने वाला लगेगा
कभी छलावा करेगा, कभी बेचैन करेगा, तो कभी सुकून देगा
भूत और भविष्य में लुप्त न होना,
आज और अब को मत खोना
समय चलता रहेगा, समय बढ़ता रहेगा
—०—
don't ponder too much on the past and future
live the present moment
moments keep passing and still appear fixed and firm
moments can appear as tall as mountains and as deep as oceans
some moments can appear complicated, and overwhelming
moments can be treacherous, at times restless, and sometime gives satisfication
don't ponder too much on the past and future
moment will come and go
live the present moment
—०—
आशुतोष झुड़ेले
Ashutosh Jhureley
@OReKabira
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