रंग कुछ कह रहे हैं - Holi - Colours Are Saying Something - Hindi Poetry - Re Kabira 106

 -- o Re Kabira 106 o --

रंगf कुछ कह रहे हैं 

मौसम में आज रंगों का मेला सजा, 
रंग कुछ बोल रहे हैं, सुन लेते हैं ज़रा,

बोले लाल गुलाल, जीवन शुभ है
मैं शक्ति हूँ, मैं प्राण हूँ, 
मैं आरम्भ हूँ, मैं अंत हूँ !

पीला बोला, ज्ञान सर्वोपरि है 
मैं स्वर्ण हूँ, मैं शुद्ध हूँ, 
मैं ज्ञान हूँ, मैं बुद्धि हूँ !

मुस्कुराया हरा, बोल पड़ा
मैं ख़ुशी हूँ, मैं आनंद हूँ,
मैं समृद्धि हूँ, मैं प्रकृति हूँ !

नीले ने मानो इशारा किया 
मैं शांति हूँ, मैं सुकून हूँ,
मैं अनंत हूँ, मैं शाश्वत हूँ !

नारंगी चुप न रह सका, बोला 
मैं सूर्य हूँ, मैं शौर्य हूँ,
मैं अटल हूँ, मैं अचल हूँ !

जामुनी ने नाचते-नाचते कहा
मैं ख़्वाब हूँ, मैं कल हूँ,
मैं करुणा हूँ, मैं प्रेरणा हूँ !

भगवा एक पहेली सबसे पूँछ पड़ा
 बूझो, सफ़ेद पर चढ़ गए सारे रंग तो काला बना
या फिर काले से उड़ गए सारे रंग तो श्वेत बचा?

बोलै ओ रे कबीरा, 
सफ़ेद और काले के बीच जीवन है रंगीन बड़ा,
मौसम में आज रंगों का मेला सजा, 
होली है, झूम ले रंगों के संग ज़रा
होली है, बुरा नहीं मानेगा कोई रंग 
होली है, झूम ले मन चाहे रंग के संग

..... होली पर आप सब को बहुत सारी शुभकामनायें  ....
Wishing you all a very Happy Holi



आशुतोष झुड़ेले
Ashutosh Jhureley
@OReKabira

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