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Re Kabira 012 - Relationships

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--o Re Kabira 01 2 o-- रिश्ते  सब को चाहिये आप से कुछ, आप को चाहिये सब कुछ। कमी नहीं है रिश्तों में, नहीं है कच्ची यारी। । नहीं करिओ किसी से अपेक्षा, न ही करो किसी की उपेक्षा। केवल सोच से कुछ नहीं, कर्म ही है सब कुछ। । गलती किस में देखे हो, ऊँगली उठाने से पहले सोचे हो। एक तेरी दूजी पाथर के ओर, पर तीन टटोले हथेली होर। । आप जो दे चले सब कुछ, मिल जाएगा सत्य सुख। सब को चाहिये आप से कुछ, आप को चाहिये सब कुछ। । ~आशुतोष --o Re Kabira 01 2 o-- #caste #class #religion #region #equality #bias #relationships #expectations #neglect 

Re Kabira 001 - Sādhū bhūkhā bhāva kā

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-- o ReKabira 001 o --  साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाही | धन का भूखा जो फिरे, सो तो साधू नाही || Sādhū bhūkhā bhāva kā, dhana kā bhūkhā nāhī | dhana kā bhūkhā jō phirē, sō tō sādhū nāhī || Sant Kabir Das Translation: Sage has hunger for devotion, not wealth. If one has hunger for wealth, then he / she can't be a sage. My Interpretation: A noble and wise person has drive for excellence and pursues passion for greater cause. And not personal or vested interest. One with personal or vested interest could only be a good business person not a wise one. Pursue excellence, be driven by passion and have an impact greater cause. -- o ReKabira 001 o --