Posts

Showing posts with the label कविता

लिखते रहो Keep Writing - Re Kabira 101

Image
-- o Re Kabira 101 o-- लिखते रहो लिखते रहो, शब्द शक्तिशाली हैं  तो अजब मायावी भी हैं  शब्दों में ध्यान  की  ताक़त है तो ज्ञान  की  चाहत भी है  लिखते रहो, शब्द प्रहार कर देते हैं  तो वहीं मरहम् भी देते हैं शब्दों में मन की खटास है तो दिल की मिठास भी है लिखते रहो, शब्द मसले बन जाते हैं तो ये मसलों को हल भी कर जाते हैं  शब्दों से दीवारें खड़ी हो जातीं हैं तो पहाड़ मिट्टी में भी मिल जाते हैं लिखते रहो, शब्द लोगों को जगा सकते हैं तो आसानी से बँटवाते भी है शब्दों में बहकाने की, भड़काने की फ़ितरत है  तो मोहब्बत फैलाने की आदत भी है लिखते रहो, शब्द तुम्हें बाँध देते हैं तो बन्धनों से मुक्त भी करते हैं शब्दों से ही गीत है प्रीत है मीत है तो भक्ति की शक्ति भी है लिखते रहो, शब्द ही अल्लाह और राम हैं तो रावण और शैतान भी हैं  शब्दों में राम है श्याम है तो सियाराम राधेश्याम भी है लिखते रहो, शब्द बेज़ुबान की जान हैं तो इनके बिना ज़ुबानी बेजान हैं शब्दों में ही तो बड़े-बड़े गुमनाम हैं तो ये कितनों की पहचान भी हैं  लिखते रहो, शब्द ही तुम्हारे व्यवहार हैं तो ये ही तुम्हारे अंदर का द्वार हैं बोले ओ रे कबी

क्यों न एक प्याली चाय हो जाए - Re Kabira 091

Image
  क्यों न एक प्याली चाय हो जाए? कुछ चटपटी कुछ खट्टी-मीठी बातें,  साथ बिस्कुट डुबो कर हो जाएं  पूरे दिन का लेखा-जोखा,  थोड़ी शिकायत थोड़ी वक़ालत हो जाए  ज़रा सुस्ताके फिर भाग दौड़ में लगने से पहले, सुबह-दोपहर-शाम ... क्यों न एक और प्याली चाय हो जाए? कभी बिलकुल चुप्पी साधे, कभी गुनगुनाते खिलखिलाते बतयाते कभी गहरी सोच में कभी नोक झोंक में  कभी किसी के इंतज़ार में कभी किसी से इंकार में  पहले आप पहले आप में , सामने रखी हुई कहीं ठंडी न हो जाए  किसी बहाने से भी..  क्यों न एक और प्याली चाय हो जाए? छोटे बड़े सपने चीनी संग घुल जाएं  मुश्किल बातें उलझे मसले एक फूँक में आसन हो जाएं  खर्चे-बचत की बहस साथ अदरक कुट जाए और बिना कुछ कहे सब समझ एक चुस्की लगाते आ जाए सेहत के माने ही सही मीठा कम की हिदयात मिल जाए  और फिर कहना, मन नहीं भरा.... क्यों न एक और प्याली चाय हो जाए? सकरार की चर्चा, पड़ोस की अफ़वाह मसालेदार हो जाएं  बिगड़ते रिश्ते, नए नाते निखर जाएं  चुटकुले-किस्से-अटकलें और भी मजेदार हो जाएं  दोस्तों से गुमठी पर मुलाकातें यादगार हो जाएं  और बारिश में संग पकोड़े मिल जाए तो बनाने वाले की जय जय कार हो जाए  आखि