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ये मेरे दोस्त - My Friends - Re Kabira 103

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  -- o Re Kabira 103 o --  ये मेरे दोस्त  ये पुराने दोस्त वो सयाने दोस्त हैं बड़े कमाल ये मेरे दोस्त यादों में बसे, क़िस्सों से जुड़े,  गुनगुनाते मुस्कुराते जहाँ चले झूमते चलें  ये दीवाने दोस्त वो मस्ताने दोस्त  हैं परवाने ये मेरे दोस्त  दूर हैं, पर लगते साथ हैं खड़े,  मधुमक्खियों की तरह घेर मुझे चलें  ये बेमिसाल दोस्त वो बेफ़िक्र दोस्त  हैं बेबाक ये मेरे दोस्त जमाने से लड़ें, किसी की न सुने,  हाथ में हाथ डाल गलियारों में चलें ये कामयाब दोस्त  वो मशहूर दोस्त हैं दूर तक मा'रूफ़ ये मेरे दोस्त ऊँचे पायदानों पे चढ़ें, आसमान में उड़े,  जब हमारे साथ चले ज़मीन पर ये चले...

शौक़ नहीं दोस्तों - Re Kabira 095

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-- o Re Kabira 095 o--   शौक़ नहीं दोस्तों वहाँ जाने का है मुझे शौक़ नहीं दोस्तों जहाँ ज़िस्म तो है सजे रूह नहीं दोस्तों कुछ सुनना है कुछ सुनाना भी दोस्तों जो कह न सकें गले लगाना भी दोस्तों तस्वीरों में सब ज़ख़्म छुपाते हैं दोस्तों अरसा हुआ मिले दर्द बताना है दोस्तों  ख़ुशियाँ अधूरी हैं जो बाँटी नहीं दोस्तों महफ़िलें बेगानी हैं जो तुम नहीं दोस्तों हमारी यादें हैं जो बारबार हँसाती दोस्तों मुलाक़ातें ही हैं जो क़िस्से बनाती दोस्तों वक़्त लगता थम गया था जो तब दोस्तों धुँधली यादों के पल जीना वो अब दोस्तों गलियारों में गूँजे अफ़साने हमारे दोस्तों दरवाज़ों पे भी हैं गुदे नाम तुम्हारे दोस्तों गले में हाथ डाल बेख़बर घूमना दोस्तों बेफ़िक्र टूटी चप्पल में चले आना दोस्तों गुनगुनाना धुने जो कभी भूली नहीं दोस्तों झूमें गानों पर जो फिर ले चले वहीं दोस्तों कुछ रास्ते है जहाँ बेहोशी में भी न गुमे दोस्तों कुछ गलियाँ हैं वहाँ हमारे निशाँ छुपे दोस्तों लोग कहते हैं फ़िज़ूल वक़्त गवाया दोस्तों कौन समझाए क्या कमाया है मैंने दोस्तों कल हो न हो आज तो मेरे है पास दोस्तों कोई हो न हो तुम मिलोगे है...