Re Kabira 079 - होली 2023
--o Re Kabira 079 o-- बुरा न मानो होली है छिड़को थोड़ा प्यार से तो सारे रंग ही रंग है जो ज़रा सी भी कड़वाहट न हो तो प्रेम अभंग है पकवानों में, मिठाईयों में, वैसे तो स्वादों के रंग ही रंग है जो कोई द्वारे भूखा न सोये तो मानो जीती ये जंग है हँसते मुस्कराते चेहरों में खुशियों के रंग ही रंग है जो सभी के पुछ जायें अश्रु तो सच्ची उमंग है दूर-दूर तक गाने बजाने में जोश के रंग ही रंग है जो हम अभिमान के नशे धुत्त न हों तो स्वीकार ये ढंग है छेड़खानियों में, चुटकुलों में तो हास्य रंग ही रंग है जो बदतमीज़ी जबरजस्ती हटा दी जाये तो असली व्यंग है? भीगे कपडों में लिपट पिचकारी में लादे सारे रंग ही रंग हैं जो एक प्याली चाय और पकोड़े हो जायें तो दूर तक उड़े मस्ती की पतंग है घर-परिवार, मित्र-दोस्तों के साथ त्योहार मानाने में रंग ही रंग है जो थोड़ी भक्ति मिला दें, आस्था घोल दें तो होली नहीं सत संग है हम सब दूर सही पर संग हैं तो हर तरफ़ रंग ही रंग है जो रूठ कर घर में छुप कर बैठे तो जीवन बड़ा बेरंग है गिले-शिकवे मिटा लो देखो फिर होली के रंग ही रंग है बुरा न मानो होली है तभी तो सदैव से उत्तम प्रसंग है .