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Re Kabira 012 - Relationships

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--o Re Kabira 01 2 o-- रिश्ते  सब को चाहिये आप से कुछ, आप को चाहिये सब कुछ। कमी नहीं है रिश्तों में, नहीं है कच्ची यारी। । नहीं करिओ किसी से अपेक्षा, न ही करो किसी की उपेक्षा। केवल सोच से कुछ नहीं, कर्म ही है सब कुछ। । गलती किस में देखे हो, ऊँगली उठाने से पहले सोचे हो। एक तेरी दूजी पाथर के ओर, पर तीन टटोले हथेली होर। । आप जो दे चले सब कुछ, मिल जाएगा सत्य सुख। सब को चाहिये आप से कुछ, आप को चाहिये सब कुछ। । ~आशुतोष --o Re Kabira 01 2 o-- #caste #class #religion #region #equality #bias #relationships #expectations #neglect 

Re Kabira 006 - Words

--- o Re Kabira 006 o --- शब्द बराबर धन नहीं, जो कोई जाने बोल | हीरा तो दामो मिले, शब्द मोल न तोल || --- oo Sant Kabir Das oo --- Translation: Words are invalualble, only a good orator know it. You can buy jewels for any value, but it is very difficult to value words. My Interpretation: One should be very careful with what they speak and words they choose. Words have immense value, if used appropriately (at right time, at right place and at right location). Whether ones intentions are good or bad, can be achieved with right selection words.   --- o Re Kabira 006 o ---