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Re Kabira 012 - Relationships

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--o Re Kabira 01 2 o-- रिश्ते  सब को चाहिये आप से कुछ, आप को चाहिये सब कुछ। कमी नहीं है रिश्तों में, नहीं है कच्ची यारी। । नहीं करिओ किसी से अपेक्षा, न ही करो किसी की उपेक्षा। केवल सोच से कुछ नहीं, कर्म ही है सब कुछ। । गलती किस में देखे हो, ऊँगली उठाने से पहले सोचे हो। एक तेरी दूजी पाथर के ओर, पर तीन टटोले हथेली होर। । आप जो दे चले सब कुछ, मिल जाएगा सत्य सुख। सब को चाहिये आप से कुछ, आप को चाहिये सब कुछ। । ~आशुतोष --o Re Kabira 01 2 o-- #caste #class #religion #region #equality #bias #relationships #expectations #neglect 

Re Kabira 009 - Greed

--o Re Kabira 009 o-- जियरा जाहुगे हम जानीं |  आवैगी कोई लहरि लोभ की बूडैगा बिनु पानी|   राज करता राजा जाइगा रूप दिपती रानी|  जोग करंता जोगी जाइगा कथा सुनंता ग्यानी|  चंद जाइगा सूर जाइगा जाइगा पवन औ पांनी|  कहै कबीर तेरा संत न जाइगा राम भगति ठहरानी|| -oo संत कबीर दास oo- When greed hits you like a wave You don't need water to drown. Whether it's a king on his throne Or a pretty queen, A chanting pundit Or a miracle-working yogi, They'll all die by drowning In a waterless sea. Who survives? The ones whose minds, Kabir says, Are tied to rocks.    --oo Sant Kabir Das oo-- --o Re Kabira 009 o--